BHAI!

तुम स्वस्थ्य रहो मदमस्त रहो
जग की बेड़ियों को ध्वस्त करो
ये जीवन मिले न मिले कल को
इसे खुद के लिए आश्वस्त करो

एकांत हंसो, एकांत खिलो
प्रतिपल नहीं तो जियो दो पल
हर दिन के चौबीस घंटे हैं
कुछ पल ही सही करो मन निर्मल

परिवार का सारा भार  टिका
तुमपर है भोग का द्वार टिका,
हर समाधान का द्वार टिका
चाची-चाचा का दुलार टिका

घर नीव हो तुम, आधार हो तुम
हर संकट की तलवार हो तुम
हम बहनों के करतार हो तुम
पर हो तो एक नहीं चार हो तुम

यदि सबको है तुम पर टिकना
तो ज़रूरी है तुमको उठना
मोह माया से तो उठे ही हो
मन से तन से भी है जीतना

खुद देखो अपने खुद के विचार
झटको यदि हो कोई तनाव, भार
नकारात्मक की कोई ना हो कतार
खुशियों की तुमपे भरमार
सफलतायें हो अपरम्पार। ...

हर चिंताओं से मुक्त रहो
आराम विराम से युक्त रहो
भय-क्रोध से तुम उन्मुक्त रहो
मानवता के लिए उपयुक्त रहो

राखी का है ये अवसर
इस अवसर पर तुम्हे शत शत नमन
आज यही कामना हूँ करती
रक्षा करो अपनी मन की

रक्षा बंधन की असीम शुभ कामनाएं




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