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BHAI!

तुम स्वस्थ्य रहो मदमस्त रहो जग की बेड़ियों को ध्वस्त करो ये जीवन मिले न मिले कल को इसे खुद के लिए आश्वस्त करो एकांत हंसो, एकांत खिलो प्रतिपल नहीं तो जियो दो पल हर दिन के चौबीस घंटे हैं कुछ पल ही सही करो मन निर्मल परिवार का सारा भार  टिका तुमपर है भोग का द्वार टिका, हर समाधान का द्वार टिका चाची-चाचा का दुलार टिका घर नीव हो तुम, आधार हो तुम हर संकट की तलवार हो तुम हम बहनों के करतार हो तुम पर हो तो एक नहीं चार हो तुम यदि सबको है तुम पर टिकना तो ज़रूरी है तुमको उठना मोह माया से तो उठे ही हो मन से तन से भी है जीतना खुद देखो अपने खुद के विचार झटको यदि हो कोई तनाव, भार नकारात्मक की कोई ना हो कतार खुशियों की तुमपे भरमार सफलतायें हो अपरम्पार। ... हर चिंताओं से मुक्त रहो आराम विराम से युक्त रहो भय-क्रोध से तुम उन्मुक्त रहो मानवता के लिए उपयुक्त रहो राखी का है ये अवसर इस अवसर पर तुम्हे शत शत नमन आज यही कामना हूँ करती रक्षा करो अपनी मन की रक्षा बंधन की असीम शुभ कामनाएं

When Music is in the Family

In India, music and other art-forms still grab a backseat in terms of money, and a well-to-do living. Artists and musicians work indignantly to seek respect and recognition by the masses. Only three people can survive in this field who achieve their dreamt money fame: family prodigy, approach-driven, and exceptionally intelligent (to grasp faster). It’s harder for the remaining average, unfamed musician, to lead an economically happy life. Good and renowned musicians and musicologists are seen living in the ‘kholi’ types houses.   Around 20% of the normal musicians (average performers) grow famous because of proper guidance of the Guru and their own rigorous practices. If the Guru is an eminent maestro or a famous Gharana stalwart, then its but obvious for a disciple to perform with his/her Guru and then individually. Gurus also choose the people as their disciples who are already adequately intelligent to easily grasp their lessons. They (stalwart Gurus) nev